Monday, January 31, 2011


-------------ठाकुर गोपाल शरण सिंह

मेरा एक दोस्त है दोस्तों.

मेरा एक दोस्त है दोस्तों.
मैं उसका नाम तो नहीं लिखूंगा मगर प्लीज़ आप समझ जाना के वो कौन है .
वो बहुत ही खूबसूरत है,जैसे मेरे कान्हा जी,
बहुत समझदार है,जैसे सभी होते हैं,
बहुत अच्छा है,जैसे मैं खुद हूँ
और उसका दिल....................दिल तो जैसे संगमरमर का बना है.
सफ़ेद,पवित्र और पत्थर.
उसकी आत्मा जैसे ओस की बूँद जैसी है,निर्दोष,निर्मल और ठंडी.
मुझे वो बहुत पसंद है क्योंकि मैं  उससे प्यार करता हूँ.
उसको मैं पसंद नहीं क्योंकि मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ.
उसको मैं पहले पसंद था क्योंकि उसे ये पता नहीं था के मैं उसको कितना प्यार करता हूँ,
मगर जैसे-जैसे उसे पता लगा के मैं उसे कितना चाहता हूँ वैसे-वैसे वो मुझसे दूर होता गया.
वैसे उसकी कोई गलती हो ऐसा मैं नहीं मानता क्योंकि मैं ही उसे हमेशा जताता रहता था के मैं उससे कितना प्यार करता हूँ.
उसने कभी नहीं बताया के वो भी मुझसे प्यार करता है के नहीं.
मुझे कुछ समझता भी है के नहीं.
वो हमेशा मेरी कमजोरियां मुझे गिनाता रहा,मेरी गलतियाँ मुझे बताता रहा,मेरी मानसिकता में दोष ढूंढता रहा.
इस सबमें उसे ये तो कभी दिखा ही नहीं के मैं आखिर उससे प्यार भी तो बहुत करता हूँ.
अब प्यार करने के नाते कभी मैंने कुछ शरारत कर दी तो मेरी मानसिकता ख़राब,मैंने कुछ कह दिया तो मेरी मानसिकता गलत,

Friday, January 21, 2011

कह तो देता तुमसे मगर.........

कह तो देता तुमसे मगर.........
के तुम्हारी ख़ामोशी परेशान करती है,
तुम्हारी बेरुखी सताती है.
न बोलना तुम्हारा दुःख पहुंचता है.
कह तो देता तुमसे मगर.............

तुमसे दूर रहना अच्छा नहीं लगता,
तुम्हारा मुझसे वो बेसाख्ता लिपटना याद आता है.
हवा में घुली तुम्हारी खुशबु मुझे सांस नही लेने देती.
कह तो देता तुमसे मगर.........

जी में आता है बहुत बार के भूल जाऊं सब कुछ,
न कुछ बोलू न कुछ सुनु.
लिपट जाऊं तुमसे और मूँद लूँ  आँखें.
मुझे मिल जाए माफ़ी....
कह तो देता तुमसे मगर.........

अब भी शाम होते ही मैं तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ,
तुम्हे देख कर सीने मैं अब भी कुछ चुभता है.
तुम्हारी मोहक मुस्कान दिल में अब भी सुलगती है...
कह तो देता तुमसे मगर.........


उन सवालों का जवाब नहीं मिला अब तक,
खामोश रह कर जो तुम किया करते थे.
नहीं सहन होता अब तुम्हारा ये गूंगा शोर....
नहीं देखा जाता खुद को आईने में..
कह तो देता तुमसे मगर.....

तुम तो भूल भी गये होगे मेरे प्यार को
मैं कैसे समेटूं अपना बिखरापन..
मेरे अँधेरे वीराने में चमकती है,
तुम्हारे दूधिया दांतों की सफेदी..
कह तो देता तुमसे मगर...

सपनों से डर के सोता नहीं मैं,
अपनों के डर से रोता नहीं मैं,
जमाने से डरता हूँ,
मगर तुम पे मरता हूँ..
कह तो देता तुमसे मगर.


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Wednesday, January 19, 2011

तुम क्यूँ न हुए मेरे ........

तुम बिन जीना मुहाल,
तुम बिन मरना भी मुश्किल.
आँखों की उदासी सब कह दे,
जो न कह पाया ये दिल.
दिल ने तो सब कह डाला था,
पर तुम ही समझ नहीं पाए.
वो लफ्ज़ नहीं तुम सुन पाए,
जो लफ्ज़ जुबां तक न आए.
क्या करूँ शिकायत अब तुमसे,
जब फर्क नहीं पड़ने वाला.
कोरी पुस्तक के लिक्खे को,
है कौन यहाँ पढने वाला.
भीगी आँखें जो पढ़ न सका,
वो कहा सुना क्या समझेगा.
बस अपने मन की कह देगा,
बस अपने मन की कर लेगा.
कुछ नहीं पूछना है तुमसे ,
उपकार बहुत मुझ पर तेरे,
बस इतना मुझको बतला दो....
तुम क्यूँ न हुए मेरे...
तुम क्यूँ न हुए मेरे .........

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मैंने देखा है

*कभी देखा है तुमने ?
दर्द को कम होते !
किसी की पीड़ा को मिटते !
कैसे भूल जाता है कोई नासूर बने  दर्द को पलभर में.
कैसे मिल जाता है अवकाश किसी को बरसों की पीड़ा से !
मैंने देखा है खुद ही में ये सब
तुम्हारी मोहक हंसी जब गूंजती है कानों में,
जाने कहाँ चला जाता है दर्द,
जाने कहाँ भाग जाती है पीड़ा.
तुम्हारे दूधिया दांतों की चमक के नीचे
मैंने पीड़ा को पिसते देखा है.
तुम्हारी खनकदार हंसी को सुनकर
मैंने दर्द सिकुड़ते देखा है.*


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Saturday, January 08, 2011

तुमको चाहना हम से और नहीं होगा....

तुमको चाहना हम से और नहीं होगा,
जलते रहना हम से और नहीं होगा.

तेरे बिन रहना तो अब भी मुश्किल है,
रोयेंगे पर ज़रा भी शोर नहीं होगा.

तुम जो कह दो तो मैं चाँद तोड़ लाऊं,
पर मेरा तुम पे उतना ज़ोर नहीं होगा.

छोड़ के दुनिया तुमको आज बता देंगे,
चाहने वाला हम-सा और नहीं होगा.

कोई तुम से कह दे, हम नहीं मानेंगे,
जलना बुझना बस अब और नहीं होगा.

तेरी नफरत अगर नहीं घट पायी तो,
प्यार हमारा भी कमज़ोर नहीं होगा.

पता चलेगा तुमको तब तन्हाई का,
विक्की जैसा जब कोई और नहीं होगा.





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