Sunday, July 17, 2022

अपने अंदर के बच्चे को मरने न दें

एक स्टेटस लगाया था मैंने जिसमें कुछ युवा सड़क पर ट्रक के हॉर्न पर नागिन डांस कर रहे थे।

इस स्टेटस पर कई मित्रों के संदेश आए जो ये दर्शाते थे कि ऐसी मूर्खता को न तो करना चाहिए न बढ़ावा देना चाहिए।

मैं उनकी बातों से कतई असहमत नहीं हूं। वास्तव में सड़क पर इस तरह की मस्ती नहीं होनी चाहिए वो भी बारिश के मौसम में। क्या हो अगर ट्रक के ब्रेक देर से लगें या ट्रक वाले का मूड खराब हो?

दसियों घरों के चराग एक झटके में बुझ सकते थे।

लेकिन उस स्टेटस को लगाने का मेरा उद्देश्य कुछ और था। मैं पुनः कहता हूं कि मैं ऐसी मस्ती का कतई समर्थन नहीं करता जिसमें अपनी और दूसरों की जान का जोखिम हो। लेकिन मेरा ये भी मानना है कि हमें अपने अंदर के बच्चे को मस्ती करने की छूट जरूर देनी चाहिए। किसी ट्रक के हॉर्न को सुनकर थोड़ा मटक लेंगे तो कहीं भूचाल नहीं आ जाएगा।

बारिश की बूंदों से अपने तन और मन को भिगो लेने देंगे तो कहीं सुनामी नहीं आ जाएगी।

दुनिया भर का जरूरी गैरजरूरी तनाव तो हम हर वक्त ओढ़े ही रहते हैं ना। क्या हो अगर सब जिम्मेदारियों को, तनावों को, झगड़ों-टंटों को कुछ देर भूल जाएं!

आप गाड़ी से कहीं जा रहे हों, सामने बारात की भीड़ नाच-कूद रही हो। तो बार-बार हॉर्न बजाकर झल्लाने की बजाय यदि कार से बाहर आकर बारातियों के साथ दो ठुमके लगा लेंगे तो तनाव, गुस्सा और झल्लाहट कुछ देर के लिए भूल भी जाएंगे और खुद को तरोताजा भी अनुभव करेंगे। वैसे भी आपके हॉर्न बजाने से उन शराबियों को तो घंटा फर्क नहीं पड़ता।

याद है आपको, आप अंतिम बार अपनी मर्जी से बारिश में कब भीगे थे, कब किसी फंक्शन में खुलकर नाचे थे, कब जी भर कर चिल्लाए थे, कब दिल खोलकर हंसे थे? याद है?

शायद नहीं। क्योंकि हमने इन बातों को बचपना जो समझ लिया है। जबकि बचपना कितना प्यारा अनुभव है ये सब जानते हैं। न जानते होते तो आज भी बचपन को याद करके खुश नहीं होते।

कब तक सुरक्षा के नाम पर, सभ्यता के नाम पर, स्टेट्स के नाम पर और समझदारी के भारी बोझ के नाम पर अपने अंदर के मासूम बच्चे पर जुल्म करते रहेंगे हम!

आइए इस बारिश में भीग जानें दें उस नन्हें को जो आपके भीतर डरा सहमा बैठा है।

आइए किसी बात पर या बिना बात ही खुलकर ठठाकर हंस लेने दें उस नन्हें को जो आपके भीतर उदास बैठा है।

आइए कभी उछल-उछल कर नाच-कूद लेने दें उस नन्हें को जो आपके भीतर दुबका बैठा है।

घुमक्कड़ मन होने के कारण रोमांच मेरा पहला लक्ष्य रहता है। हालांकि जहां रोमांच होगा वहां रिस्क तो होगा ही। हां थोड़ी समझदारी (हालांकि ये समझदारी ही सबसे बड़ी समस्या है) और सावधानी जरूरी है लेकिन रोमांच हमारे जीवन में ताजगी, ऊर्जा और जीवटता भरता है।


ये जीवन अनमोल है। इसे खुलकर, खेलकर, जीभर कर जिएं।

ये दोबारा मिलेगा या नहीं मुझे नहीं मालूम।


-निंबल

3 comments:

  1. विकी निंबल जी
    एक बार हमने बीच सड़क पर बारात में नाचते शराबियों के साथ कार से उतर कर उनका साथ दिया,मस्ती की,नाचे कूदे और उनसे निवेदन की कि अब जाने दें ,रास्ता दें।पर वो नहीं माने।पूरा घंटा खराब किया।बताईए यहाँ बचपन को जिंदा रखने या उनका साथ देने से भी कोई असर नहीं हुआ।अंततः वो अपनी में ही रहे।

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    1. ओपी भाई सब एक जैसे भी नहीं होते। मैं अपराधियों और शराबियों का कतई समर्थन नहीं करता। मैंने लिखा भी है कि किसी की जान के जोखिम के बदले ऐसी मस्ती का कोई मतलब नहीं बनता। आप ब्लॉग पर आए इसके लिए आभार।

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