Thursday, December 16, 2010

इस बार गिरेगी धुंध..........

इस बार गिरेगी धुंध,
तो मैं तुम्हें ख़त लिखूंगा.
तुम मेरे देश चले आना.
मैं तुम्हारी पसंद के रंग,
आसमान से चुरा कर,
रख लूँगा सहेज कर.
जब भी तुम आओगे,
मैं उन्हें तुम्हें सौंप दूंगा.
धुंध,कोहरा,कुहासा,
सफ़ेद भूरा चांदनी सा.
जब उतरेगा ज़मीन पर,
तुमको ढूंढूंगा  उसमे टटोल कर.
तब क्या तुम छू दोगे मुझे ?
शायद नही.
और यूँ अकेला खड़ा रहूँगा मैं.
धुंध में,कोहरे में,कुहासे में.
तब तुम मेरे एहसासों को समेट  लेना
और देना एक वायदा बस,
कि तुम सालों साल...
आते रहोगे हर धुंध के
गुलाबी मौसम  में.
और मैं हर साल,
लिखता रहूँगा तुम्हे ख़त,
इसी तरह............

V.B. Series

Sunday, December 12, 2010

भूलना उसको मुश्किल था पर...............

थी राह कठिन उस तक वापस  जाने की,
हो गयी इन्तिहाँ खुद को बहलाने की.
दिन को न चैन था रातों को न सो पाता था,
जो वक़्त मिला तो खुद को समझाता रहता था.
कभी न समझा उस बिन अब में जी सकता हूँ,
कच्चे धागे से टूटा दर्पण सी सकता हूँ.
अब खुली आँख तो देखा वो तो कहीं नहीं है,
खुशियों से लेकिन राह अभी तक भरी पड़ी है.
जो नहीं भाग में हो उसका फिर क्या रोना है,
रो-रो के तो बस मिले हुए को ही खोना है.
गुनगुनी धूप सा जीवन अब तक बहुत पड़ा है,
खोल के बाहें जीवन अब भी वहीँ खड़ा है.
गर कर पाया तो जीवन सोने सा कर लूँगा,
जो ख्वाब अधूरे थे उनको पूरा कर लूँगा.
इक नयी सुबह अलसाई मुझको ताक रही है,
काली रात अमावास सरपट भाग रही है.
हँसते मुस्काते रहने का अब सोच लिया है,
रूठा रूठा चेहरा अब पीछे छूट गया है.
हो गयी है आदत उससे इतना दूर रहा हूँ,
भूलना उसको मुश्किल था पर..................
भूल रहा हूँ.


V.B. Series.

कैसे बताऊँ तुम्हें?...............


मेरे प्यार की गहराई बढती जाती है लगातार
इसी के साथ पवित्र होती जाती हैं मेरी भावनाएं.
पल-दर-पल,समय-दर-समय,
जिंदगी आसान  सी होती जाती है
और मैं ये कह सकता हूँ कि
तुम्हारे लिए मेरा प्यार बढ़ता ही जाता है.

हमने संजोये बहुत से सपने और
उन्हें सच कर दिखाया.
हर क़दम के साथ हमारी नजदीकियां बढती गयी
और आज मेरे दिल में तुम हो....बस तुम.

अगर वाकई मापना चाहते हो
मेरी सच्चाई !
तो देखो मेरी आंखों में,
जो देंगी गवाही
और तुम वाकई जान जाओगे कि
मुझे तुमसे प्यार है.

मेरा प्यार तुम्हारे लिए नित नई आभा धरता है
हर सुबह नई आशा के साथ उगता सूरज
नये दिन के लिए नई आशा,
नई ख़ुशी लेकर आता है.
मेरे जीवन का वो नया सूरज तुम हो,
जो हर पल को नई खुशियों से भर देते हो.

मेरा प्यार तुम्हारे लिए भोर की अछूती किरण
की तरह पवित्र है और उसी की तरह सच्चा भी.
जैसे एक फूल की खुशबू,
ओह्ह ! कितने-कितने तरह से मैं तुम्हें चाहता हूँ........
कैसे बताऊँ तुम्हें?


V .B. Series.

Thursday, November 04, 2010

इस बार उजाला भीतर हो...........

मन द्वार सजा हो तोरण से
मन-आँगन सजे रंगोली से,
मन-मंदिर पावन ज्योति,
इस बार उजाला भीतर हो.

अंतस के गहन अँधेरे में,
धुंधली पड़ती पगडण्डी पर
बस एक नेह का दीप जले,
इस बार उजाला भीतर हो.

रिश्तों की उलझी परतों में,
उजली किरणों का डेरा हो,
हर मुख चमके निश्छल उज्जवल,
इस बार उजाला भीतर हो.

पिछली,बिखरी,उजड़ी,कडवी
बिसरें स्मृतियाँ जीवन की
अब नए स्वरों का गुंजन हो,
इस बार उजाला भीतर हो.

जीवन यात्रा के शीर्ष शिखर
आशीष भरे जिनके आँचल,
छाया दे हर नव अंकुर को,
इस बार उजाला भीतर हो.

प्रतिपल जीवन में उत्सव हो
हर दीप तेल और बाती का,
स्नेह पगा गठ बंधन हो,
इस बार उजाला भीतर हो.

साकार बने अब हर सपना,
अपनेपन का आकार बढे,
अब सब अपने ही अपने हो,
इस बार उजाला भीतर हो.



----प्रवीण उमेश मल्तारे
     भोपाल मध्यप्रदेश.

कौन आया?

अनमने मन की धरा पर,
मुस्कुराकर
दीप यह किसने जलाया
कौन आया?
खिलखिलाती धूप अगहन की कुंवारी
ज़िन्दगी के शुष्क  आँगन में उतारी
कौन बदली नीर यह बरसा गयी है
वादियों पर आ गयी फिर से खुमारी
रात के सूने पहर में
चांदनी सा
कौन आकर मुस्कुराया
कौन आया?
जम गया वातावरण में फिर हरापन
आ गया है द्वार अपने आप हरापन
प्यार के सन्देश देते हैं सितारे
कर दिया भटकी हवाओं ने समर्पण
सुप्त वीणा के हृदय में
चेतना का
तार किसने खन-खनाया
कौन आया?
वेदना के मिट गए बदल घनेरे
दिखते हैं स्वप्न में केवल सवेरे
फिर हुई आँखें शरारत पर उतारू
इन्द्रधनुषी हो गए अरमान मेरे
प्रण किया था
फिर न गाऊंगा कभी वह
गीत फिर से गुनगुनाया
कौन आया?


----मयंक श्रीवास्तव
    भोपाल मध्यप्रदेश

Wednesday, September 29, 2010

ये भय सा क्यूँ है ?

ये भय सा क्यूँ है ?
तुझ से जुदा होने का .
क्यूँ सोचता हूँ कि
तुम्हारे जाने के बाद मेरा क्या होगा.
क्यूँ बार बार खुदा से
दुआ मांगता हूँ......
तू कभी मुझ से नाराज़ न हो,
तू कभी दुःख के साए में न जाए,
तू......तू मुझसे कभी जुदा न हो.
तुम बार बार कहते हो,
बार बार मुझे यकीन दिलाते हो कि
तुम मेरे हो;बस मेरे....
कभी मुझसे दूर न होगे,
हमेशा मुझसे प्यार करोगे,
कहते हो,
तुम मुझसे कभी भी
जुदा न होगे.
मगर......
ये भय सा क्यूँ है?
तुझसे जुदा होने का
क्यूँ सोचता हूँ कि
तुम्हारे जाने के बाद
मेरा क्या होगा.


V.B Series

Saturday, September 18, 2010

Pyaar se ek baar dekh lo ke zinda kar do.......

एक गुजारिश है तुमसे,
हो सके तो पूरी कर दो.
मेरे सामने बैठे रहो या तन्हा कर दो.
प्यार से एक बार देख लो...
के जिंदा कर दो.
तुझे चाहने का गुनाह हमसे हो चुका,
अब जो चाहे हमको सज़ा कर दो.
मरने का डर नही हमको,
मरके भी तेरा रहूँ ये दुआ कर दो,
प्यार से एक बार देख लो...
के जिंदा कर दो.
मेरे लिए ज़माने को रुसवा कर दो,
मेरे बन जाओ, मुझको ख़ुदा कर दो.
जन्नत बन जाये ये जहां अगर हाँ कर दो.
प्यार से एक बार देख लो...
के जिंदा कर दो.

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Ajj din chadheya..........................

Doston koi bhi din achha ya bura kb banta hai?
Jb hm use achha ya bura banate hain.
Koi bhi din apne aap achha ya bura nhi banta balki uske achhe banne me aur kharab hone me kahin na kahin hmara hi haath hota hai.Subah uthe,brush kiya,nahaya aur khana khakar kaam pr chle gye.............
Aur is se alag subah jaldi uthe,
Fresh huwe,
Bahar sury dev ke darshno ki pratiksha ki,
Aadha ghanta yoga kiya,
Fir naha k thodi der bhgwan ka dhyan kiya,
Khana khaya,Tifin liya aur kaam pr chal diye...............
Aapko pehle wale aur doosre wale treeke me se pehla aasaan aur doosra sahi lga hoga.....
Magar aasaan aur sahi me se hm hmesha aasaan hi select krte hain na.?
Bs yahin gadbad ho jati hai.


Kisi din alssubah uth ke dekha hai?
Sooraj k nikalane se pehle kudrat kitni tayyari karti hai?
Foolo pr oas se aachman karti hai kudrat,
Ghaas pas moti bichhati hai,
Hawa me ghuli dhool ko chhan ke hawa ko saaf banati hai.
Parindon ko swagat geet k liye tayyar krti hai,
Aur poorab me aasmaan pe kabhi narangi,kabhi gulabi,kabhi neela aur kabhi saanwla surmayi rang oaodhati hai kudrat.


Magar kya kudrat ki is adbhut karigari ko utne log dekhte hain jitno ko dekhna chahiye?
Aap to nhin dekhte na?
Magar ek baar mera kaha maan ke september maheene ki kisi subah aap aisa kar ke dekhiye.
Mera yakeen hai aapka wo din aur baqi dino se behtar guzrega.................
Aur aap kahoge........................

AJJ DIN CHADHEYA...................................

Friday, July 09, 2010

Aao doston duniya ko badal de.

Doston!
Ye duniya bahut kharab h,h na?Fir hm is kharab duniya me kyon rhen?Kyon n bhaag chlen kahin?Sb kuchh chhod chhad k?
Nhi??
Kyon??
Achha bhgode kehlana psnd nhi.
To fir duniya ko badalna kya itna aasan h?
agr apne pairon ko bchana h to kyon na poori duniya per carpet bichhane ki bjaye apne pairon me hi chappl daal li jaye?????

Friday, June 04, 2010

Save Earth

Hi Doston !
Main koi bda writer nhi but apni dharti ma se pyar krta hu.
Isliye apna pehla blog main use hi dhyan me rakh kar likh raha hu.Ye meri hi tasweer hai.Yamuna nadi ke kinare main baitha soch raha hu ke hamari is pawitra nadi ki kya halat ho gyi hai.Hm din vishesh ko isi jaisi anek pawitra ndiyon me snaan krte hain magar inki pwitrta ko na jane kitni hani pahuncha dete hain.Hm chahen to thodi si kaushish krke apni in maaon aur dharti mata ko bacha sakte hain.
Dushit hone se..................
Marne se...........................
Aur manwta ko bhi...............