Friday, September 30, 2011

कहाँ खो गयी,हंसी तुम्हारी?


कहाँ खो गयी
हंसी तुम्हारी,
कौन ले गया?


शशिमुख ऊपर
मैलापन सा
कौन दे गया?


कल तक
जब तुम
मुस्काते थे


मादकता
हर इक के मन में,
भर जाते थे.


दंत पंक्ति
जब तुम उज्ज्वल
दिखलाते थे.


अंतस तक के
घोर अँधेरे
मिट जाते थे.


सूनापन सा
कैसा मुख पर
अब छाया है.


रूखा सा
व्यवहार तुम्हारा
हो आया है.


लाली चेहरे वाली
आखिर
कौन ले गया.


नयन कुटी में
गहन उदासी
कौन दे गया.

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